भारत की स्पिन के प्रति नाजुक मानसिकता ईडन गार्डन्स में उजागर
भारत का स्कोर लंच के समय 10 रन पर 3 विकेट था जब वाशिंगटन सुंदर और ध्रुव जुरेल ड्रेसिंग रूम की ओर बढ़े। यशस्वी जायसवाल और केएल राहुल आउट हो चुके थे, जबकि शुबमन गिल अस्पताल में थे। भारत के लिए 124 रनों का लक्ष्य ईडन गार्डन्स में पहले कभी नहीं हासिल किया गया था।
दक्षिण अफ्रीका ने तीसरे दिन पिच पर रोलर नहीं चलाया। उन्हें पिच के और खराब होने की जरूरत थी। रिशभ पंत ने रविंद्र जडेजा और अक्षर पटेल से गेंदबाजी शुरू की। जडेजा की एक गेंद ने टर्न लिया, लेकिन टेंबा बवुमा और कॉर्बिन बॉश ने दबाव बनाए रखा।
जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज ने दक्षिण अफ्रीका की पारी समाप्त की। भारत को बल्लेबाजी करते हुए पता था कि बाउंस आज उतना खतरनाक नहीं था। स्पिनरों को टर्न मिल रहा था, लेकिन यही चुनौती बल्लेबाजों के लिए पर्याप्त साबित हुई।
भारत ने लंच के बाद शेष 7 विकेट सिर्फ 28 ओवरों में स्पिन के सामने गंवाए। यह गौतम गंभीर की कप्तानी में घर पर आठवें टेस्ट में चौथी हार थी। समस्या स्पिन खेलने की कला भूल जाना नहीं, बल्कि स्पिन के सामने टिककर खेलने की क्षमता की कमी है।
बल्लेबाज संघर्ष के दौरान हमेशा जल्दबाजी दिखाते हैं। कोच बल्लेबाजों को मानसिक रूप से मजबूत होने और दबाव सहने की क्षमता विकसित करने पर जोर देते हैं।
गौतम गंभीर ने हार के बाद कहा, "टेस्ट क्रिकेट में कौशल के साथ-साथ मानसिक मजबूती की जरूरत होती है। पहले 10-15 मिनट कठिन होते हैं, उन्हें देखने के बाद चीजें आसान हो जाती हैं।"
ध्रुव जुरेल और रिशभ पंत के विकेट इसका उदाहरण हैं। जुरेल ने सही फैसला लेते हुए लॉन्ग-हॉप पर शॉट खेला, जबकि पंत ने संघर्ष के कारण जल्दबाजी में क्लीन-बोल्ड हो गए। जडेजा भी ड्रिफ्ट और लाइन का सही आकलन नहीं कर पाए।
वाशिंगटन सुंदर भारत के एकमात्र बल्लेबाज थे जिन्होंने दोनों पारियों में 50 से अज्यादा गेंदों का सामना किया। दक्षिण अफ्रीका के नंबर 9 बल्लेबाज कॉर्बिन बॉश ने वाशिंगटन के अलावा सभी भारतीय बल्लेबाजों से ज्यादा गेंदें खेली।
गंभीर ने स्पष्ट किया कि यह वही पिच थी जिसकी भारत ने मांग की थी, और बल्लेबाज इसे बहाना नहीं बना सकते। अगले मैच में भारतीय बल्लेबाजों को इस हार से सीख लेनी होगी – समय न सिर्फ पुराने घाव भरता है, बल्कि नए घाव लगने से भी बचाता है।
